भगवान परशुराम जयंती 2023 | जानें क्या है महत्त्व और इतिहास

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भगवान परशुराम जयंती इस वर्ष 22 अप्रैल, 2023 को मनाई जाएगी। भगवान परशुराम का जन्म संसार के धर्म और सामाजिक जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण सन्दर्भ है।

परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं और उन्हें धनुर्वेद का ज्ञाता माना जाता है। इनका जीवन प्राचीन भारत की इतिहास के अनुसार, कृतयुग और त्रेतायुग के समय में हुआ था।

भगवान परशुराम जीवन भर धर्म के पालन करते रहे थे और धनुर्वेद के ज्ञान को आम लोगों के बीच फैलाने का कार्य करते रहे थे। उन्होंने अपने शिष्यों के साथ अनेक युद्ध लड़े और असुरों और राक्षसों से लोगों को बचाया।

भगवान परशुराम जयंती का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन लोग धर्म के नाम पर दान-दया करते हैं और सामाजिक कार्यों में भी अधिक रूचि दिखाते हैं। यह दिन धर्म, संस्कृति, ज्ञान, और सेवा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए एक अवसर होता है।

भगवान परशुराम जी के माता-पिता जमदग्नि और रेणुका थे। वे तपस्वी ऋषि थे जिन्होंने पूर्णतः संसार से विरक्त होकर अपनी तपस्या की। परशुराम जी ने अपने जीवन में कई अद्भुत कार्य किए थे।

उनकी पौराणिक कथाओं में बताया जाता है कि एक बार जब राजा सहस्रजुन ने उनसे दुश्मनी की तो परशुराम जी ने उन्हें रथ पर बैठाकर उन्हें समुद्र तक ले गए और वहां उन्हें एक सुल्तान से लड़ना पड़ा जिसे उन्होंने मार डाला। इस घटना के बाद से परशुराम जी को “राम भक्त” कहा जाने लगा।

भगवान परशुराम जयंती
भगवान परशुराम जयंती

भगवान परशुराम जयंती कब है?

परशुराम जयंती 2023 की, तारीख 22 अप्रैल होगी। इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था और इस अवसर पर उन्हें याद करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष पूजा अर्चना करने से भगवान परशुराम की कृपा मिलती है और उनकी आशीष से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन कुछ लोग दान-धर्म करते हैं और वैदिक मंत्रों का जप करते हैं। समाज के बहुत से लोग इस दिन अद्भुत यात्राएं करते हैं और भगवान परशुराम को याद करते हुए उनके जीवन की उपलब्धियों का अभिवादन करते हैं।

शुभ मुहूर्त

यह सही है कि परशुराम जयंती को अबूझ मुहूर्त माना जाता है, लेकिन इस दिन कुछ शुभ मुहूर्त भी होते हैं जिनका ध्यान रखा जा सकता है.

इस बार परशुराम जयंती को 30 अप्रैल 2023 को मनाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से दो शुभ मुहूर्त हैं। पहला मुहूर्त सूर्योदय के बाद से लेकर सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक होगा। दूसरा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इस दिन यदि कोई व्यक्ति शुभ कार्य करना चाहता है तो उसे इन मुहूर्तों का ध्यान रखना चाहिए।

इस दिन परशुराम जी की पूजा करने से अनेक लाभ मिलते हैं। पूजा के दौरान ध्यान रखने वाली बातें हैं –

  • पूजा करने से मांगलिक दोषों से मुक्ति मिलती है।
  • व्यापार व वैवाहिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
  • समृद्धि, सफलता और सम्मान मिलता है।
  • स्वास्थ्य सुधारता है और रोगों से बचाव होता है।
भगवान परशुराम जयंती
भगवान परशुराम जयंती 2023

भगवान परशुराम के जन्म की कहानी

भगवान परशुराम का जन्म एक ऐसी कहानी से जुड़ा हुआ है, जिसमें दशानन रावण द्वारा किये गए अत्याचारों को देखकर भगवान विष्णु ने इस धरती पर अवतरण किया।

एक समय था जब दशानन राज्य कर रहा था। वह राज्य के सारे सुख और सुविधाओं का आनंद उठा रहा था, पर उसे अत्याचार करने का शौक भी था। वह ब्राह्मणों और धर्मिक लोगों का अत्याचार करता था, जिससे लोगों को बहुत दुख पहुँचता था। इस दौरान भगवान विष्णु ने योग में ध्यान करते हुए दशानन रावण के अत्याचारों को देखा। उन्होंने देखा कि दशानन रावण ने ब्राह्मणों और धर्मिक लोगों के बालों को भी नहीं छोड़ा था। इस पर भगवान विष्णु को बहुत दुःख हुआ और वह निर्णय लिया कि वह इस अत्याचार से बचने के लिए पृथ्वी पर अवतरित होंगे।

भगवान विष्णु ने उनके अवतार के रूप में परशुराम का जन्म लिया। परशुराम का जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था।

परशुराम का असली नाम क्या था?

परशुराम का असली नाम जमदग्नि राम था। उन्हें ‘परशुराम’ इस नाम से जाना जाता है क्योंकि वे परशु (हथियार) का बड़ा उपयोग करते थे। इसलिए उन्हें ‘परशुराम’ नाम दिया गया था।

भगवान परशुराम ने क्यों काटा अपनी माता का सिर?

भगवान परशुराम ने अपनी माता का सिर काटा इसलिए कि उनके पिता जमदग्नि ने उनसे कहा था कि उनकी माता रेनुका देवी ने धर्म के विरुद्ध कुछ किया होगा जिससे उसे दण्डित किया जाना चाहिए। परशुराम का पिता उन्हें आज्ञा देते हुए बताते हैं कि उन्हें अपनी माता का सिर काटकर उसे शुद्ध करना होगा। भगवान परशुराम ने अपनी माता का सिर काटा और उसे शुद्ध कर दिया। उनके पिता जमदग्नि ने उन्हें फिर से जीवित कर दिया और इससे परशुराम ने धर्म के प्रति अपनी पूरी वफादारी का प्रदर्शन किया।

भगवान परशुराम की जयंती कब मनाई जाती है?

भगवान परशुराम की जयंती हर साल वैशाख माह की शुक्ल तृतीया को मनाई जाती है। यह भारतीय हिंदू कैलेंडर के अनुसार होता है।

भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं की जाती?

भगवान परशुराम भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं और उन्हें छठे अवतार के रूप में जाना जाता हैं। हालांकि, पूजा में उन्हें साधारणतः नहीं शामिल किया जाता है क्योंकि उनके अवतार की पूजा परंपरागत नहीं है। इसके अलावा, पूजा की कोई विशेष परंपरा नहीं होने के कारण भी पूजा में उन्हें शामिल नहीं किया जाता है। हालांकि, उन्हें भक्तिमय लोग अपने घर में उपासना करते हुए उनकी कृपा और आशीर्वाद का आभास करते हैं।

परशुराम किसकी पूजा करते थे?

परशुराम भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं और वे भगवान विष्णु की पूजा करते थे। उन्हें भगवान विष्णु का भक्त माना जाता है और वे महाभारत काल के महान ऋषि थे।

क्या भगवान परशुराम जीवित है?

भगवान परशुराम धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एक अवतार हैं और उनका जीवनकाल बहुत पहले था। इसलिए धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो भगवान परशुराम आज जीवित नहीं हैं। हालांकि, यदि आप इतिहास या पौराणिक कथाओं के रूप में देखें तो उनके अस्तित्व की सत्यता उपयोगकर्ता के विश्वास पर निर्भर करती है।

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